रविवार, 24 नवंबर 2019

देखना चाहेंगे भगवान का चेहरा?

वैज्ञानिकों ने तैयार किया स्केच, ऐसा होता है भगवान का चेहरा!!! यूनिवर्सिटी ऑफ़ नार्थ कैलिफ़ोर्निया के चेपल हिल पर चित्र बनाया गया (प्रतीकात्मक फोटो) क्या आप जानते हैं की ईश्वर कैसा दिखता है? यूं तो हमारे पास करोड़ों देवी देवता हैं लेकिन अगर सभी को मिलकर जो एक ईश्वर है अगर हमें उसका चेहरा देखना हो कैसे देखेंगे? ईश्वर का चेहरा अब वैज्ञानिकों ने खोज लिया है. उनका कहना है की ईश्वर का चेहरा किसी युवा और खूबसूरत स्त्री जैसा है. भारत में अभी ऐसा कुछ रिसर्च नहीं हुआ है लेकिन अमरीकी वैज्ञानिकों ने बहुत सारे अमरीकी चेहरों पर रिसर्च करके ईश्वर का एक स्केच बनाया है. सबसे ज़्यादा मज़े की बात यह रही कि अमरीकी ईसाईयों ने ईश्वर के चेहरे को बूढा नहीं बल्कि जवान बताया और उसी आधार पर रिसर्च की गई. वैज्ञानिकों और मनोवैज्ञानिकों ने 511 अमरीकी ईसाईयों की मदद से यूनिवर्सिटी ऑफ़ नार्थ कैलिफ़ोर्निया के चेपल हिल पर यह चित्र बनाया. अध्ययन में भाग लेने वालों ने सैकड़ों लोगों ने रूप अलग-अलग चेहरे जोड़े और चुना कि प्रत्येक जोड़े से कौन सा चेहरा वैसे दिखाई देता है जैसे कि उन्होंने भगवान को प्रकट करने की कल्पना की. सभी चयनित चेहरों को संयोजित करके, शोधकर्ताओं ने एक समग्र 'ईश्वर का चेहरा' इकट्ठा किया जो दर्शाता था कि प्रत्येक व्यक्ति ने भगवान को कैसे प्रकट किया. उनके परिणाम आश्चर्यजनक थे. माइकल एंजेलो से मॉन्टी पायथन तक, भगवान के चित्रों ने लगभग हमेशा उन्हें पुराने और विशाल सफेद दाढ़ी वाले कोकेशियान आदमी के रूप में दिखाया है लेकिन शोधकर्ताओं ने पाया कि कई ईसाईयों ने भगवान को छोटी, अधिक स्त्री, और कम कोकेशियान के रूप में देखा. वास्तव में, भगवान की लोगों की धारणाओं ने आंशिक रूप से अपने राजनीतिक विचारधारा पर भरोसा किया. लिबरल ने ईश्वर को अधिक स्त्री, छोटे, और अधिक प्यार भरे रूप में भगवान को देखा. कंज़रवेटिव ने भगवान को कोकेशियान और उदारवादियों से अधिक शक्तिशाली देखा. अध्ययन के मुख्य लेखक जोशुआ कॉनराड जैक्सन ने सुझाव दिया, 'ये पूर्वाग्रह उस तरह के समाजों से उभरे हैं जिन्हें उदारवादी और रूढ़िवादी चाहते हैं.' 'पिछले शोध से पता चलता है कि उदारवादियों से ज़्यादा एक सुव्यवस्थित समाज में रहने के लिए रूढ़िवादी चाह रखते हैं, और चाहते हैं कि शक्तिशाली भगवान द्वारा दुनिया चलाई जाए.' दूसरी तरफ, उदारवादी सहिष्णु समाज में रहना चाहते हैं, और सोचते हैं की एक प्रेम से भरे भगवान द्वारा बेहतर विनियमित किया जाएगा.' लोगों की धारणाएं भी अपनी जनसांख्यिकीय विशेषताओं से संबंधित हैं. छोटे कद काठी के लोग एक छोटे से दिखने वाले भगवान में विश्वास करते थे. जो लोग शारीरिक रूप से आकर्षक थे वे अधिक शारीरिक रूप से आकर्षक भगवान में विश्वास करते हैं. और अफ्रीकी अमेरिकियों ने एक ऐसे भगवान में विश्वास किया जो काकेशियन लोगों की तुलना में अधिक अफ्रीकी अमेरिकी दिखता हो. . यह पूरी रिसर्च पत्रिका पीएलओएस वन में प्रकाशित कि गयी थी. आप इसे यहां पढ़ सकते हैं. 
*✍स्पेशीयल स्कवोड दैनिक कच्छ शेरखान जत..*


  

महाराष्ट्र ड्रामा:विघायक गायब!पुलिस फरियाद

महाराष्ट्र : पुलिस में एक MLA के गायब होने की शिकायत, दूसरे को खींचते हुए NCP ऑफिस लेकर आए शिवसैनिक 24 Nov. 2019  मुंबई. महाराष्ट्र में राजनीतिक उलटफेर के बीच शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने अपने एक विधायक के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई है। महाराष्ट्र में जिस तरह के राजनीतिक माहौल हैं उसमें विधायकों की वैल्यू काफी बढ़ गई है। सभी पार्टियां अपने-अपने विधायकों को सुरक्षित रखने और गायब विधायकों की धरपकड़ में लगी हैं। इस बीच लोकल रिपोर्ट्स की खबर है कि एक विधायक को शिवसेना नेताओं ने खोजकर एनसीपी के हवाले किया। लोकल मराठी रिपोर्ट्स के मुताबिक यशवंतराव चव्हाण सेंटर में शनिवार शाम को एनसीपी नेताओं की बैठक थी। सेंटर के बाहर कार्यकर्ताओं की भारी भीड़ जमा थी। इस दौरान एक गाड़ी वहां पहुंचती है। कार से शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे, शशिकांत शिंदे नीचे उतरते नजर आते हैं। इन्हीं के साथ-साथ मिलिंद नार्वेकर एक व्यक्ति को कंधे से पकड़कर बाहर खींचते नजर आते हैं। शिवेसेना के नेताओं ने पकड़ा भारी भीड़ के बीच शिवसेना के नेता इस व्यक्ति को लेकर सेंटर में दाखिल होते हैं। बाद में पता चला कि ये शख्स कोई और नहीं विधायक संजय बनसोडे हैं। कहा जा रहा है कि अजित पवार खेमे में जाने वाले विधायकों में संजय का भी नाम शामिल है। हालांकि शिवसेना नेताओं के पास पहुंचने पर उन्होंने कहा कि वो कहीं गायब नहीं हुए थे और वो अब भी शरद पवार और पार्टी के साथ ही हैं। उधर, शाहपुर के एनसीपी विधायक दौलत दरोदा सुबह दक्षिण मुंबई में अजित पवार के साथ राजभवन पहुंचने के बाद से लापता हो गए। शनिवार को सुबह राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। मुंबई पहुंचने के बाद नहीं हो पाया विधायक से संपर्क एक अधिकारी के हवाले से न्यूज एजेंसी पीटीआई/भाषा ने बताया कि दरोदा अपने बेटे करण के साथ शुक्रवार रात ठाणे में अपने निर्वाचन क्षेत्र से निकले थे और मुंबई पहुंचने के बाद से उनसे संपर्क नहीं हो पाया है। पूर्व विधायक पांडुरंग बरोड़ा शाहपुर थाना पहुंचे और दरोदा के लापता होने के बारे में शिकायत दर्ज कराई। विधायक के बेटे ने क्या कहा? दरोदा के बेटे करण ने मुंबई में संवाददताओं से कहा कि उनके पिता शनिवार सुबह से ही उनसे संपर्क में नहीं है । करण ने कहा कि उनके पिता एनसीपी चीफ शरद पवार के साथ ही हैं। ✍स्पेशीयल स्कवोड दैनिक कच्छ शेरखान जत*


महाराष्ट् बिना केबिनेट की मंजुरी हटा राष्ट्रपति शासन?कैसै? जानिये

बिना कैबिनेट की मंजूरी के इस नियम के तहत हटा महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन।।।।। हाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले पर संविधान विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय रखी है. महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले पर संविधान विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय रखी है. दिल्ली. महाराष्ट्र (Maharashtra) में अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम के तहत राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार की सुबह देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को मुख्यमंत्री (CM) पद की शपथ दिलाई. राजभवन में उनके साथ ही अजीत पवार (Ajit Pawar) को उप मुख्यमंत्री (Deputy CM) पद के लिए शपथ दिला दी गई. जिसके साथ ही 1 महीने से महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक गतिरोध का अंत हो गया. लेकिन इस घटनाक्रम के बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) में राजनीतिक आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस (Congress) की ओर से ऐसे अचानक सरकार गठन की मंजूरी देने के लिए राज्यपाल (Governor) पर भी सवाल उठाए गए हैं. बिना कैबिनेट की मंजूरी के हटाया गया राष्ट्रपति शासन महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी नहीं ली गई. इसका निर्णय प्रधानमंत्री ने स्वयं लिया. भारत सरकार ( कार्य-संचालन) नियम (THE GOVERNMENT OF INDIA TRANSACTION OF BUSINESS RULES) के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 77 की तीसरी उपधारा के मुताबिक सरकार के कामकाज को बिना बाधा के चलाने के लिए राष्ट्रपति ने कुछ नियम बनाए थे. राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा ये नियम 4 जनवरी, 1961 को लागू किए गए थे. इन्हीं नियमों में 12वें नियम के मुताबिक प्रधानमंत्री (PM) किसी भी मामले या किसी भी वर्ग के मामले में अनुमति दे सकता है या नियमों से प्रस्थान कर सकता है. वह जिस हद तक इसे जरूरी समझता है (उस हद तक नियमों से प्रस्थान कर सकता है). इसी का प्रयोग करते हुए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाया गया. राज्यपाल के निर्णय को नहीं दी जा सकती कोर्ट में चुनौती इस मामले में संविधान विशेषज्ञ (Constitution Specialist) पीडीटी आचार्य का कहना है कि किसे मुख्यमंत्री नियुक्त करना है यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करता है वह अगर संतुष्ट हैं तो वह मुख्यमंत्री नियुक्त कर सकते हैं. आमतौर पर राज्यपाल विधायकों के हस्ताक्षर वाली चिट्ठी से बहुमत का फैसला करते हैं लेकिन यह कोई अनिवार्य शर्त नहीं है. राज्यपाल द्वारा अपने विवेक से लिए गए निर्णय को किसी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती. प्रोटेम स्पीकर भी करवा सकते हैं बहुमत परीक्षण इन सभी विधायकों पर एंटी डिफेक्शन लॉ (Anti-Defection Law) लागू होगा लेकिन उसके बारे में फैसला विधानसभा स्पीकर को करना होता है तो यह महत्वपूर्ण होगा कि विधान सभा स्पीकर कौन होंगे. प्रोटेम स्पीकर के पास स्पीकर के सभी अधिकार होते हैं इसलिए अगर वह चाहें तो बहुमत परीक्षण भी करवा सकते हैं, जरूरी नहीं कि नए स्पीकर के चुनाव के बाद बहुमत परीक्षण हो. सवेरे 05:47 बजे जारी किए गजट नोटिफिकेशन के जरिए हटा राष्ट्रपति शासन बता दें कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने सुबह एक समारोह में दोनों को शपथ दिलायी जहां केवल आधिकारिक मीडिया ही मौजूद रही. महाराष्ट्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला के सवेरे 05:47 बजे जारी किए गजट नोटिफिकेशन के जरिए राष्ट्रपति शासन हटाया गया.✍स्पेशीयल स्कवोड दैनिक कच्छ शेरखान जत* 


महाराष्ट् बिना केबिनेट की मंजुरी हटा राष्ट्रपति शासन?कैसै? जानिये

बिना कैबिनेट की मंजूरी के इस नियम के तहत हटा महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन।।।।। हाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले पर संविधान विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय रखी है. महाराष्ट्र के राज्यपाल के फैसले पर संविधान विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय रखी है. दिल्ली. महाराष्ट्र (Maharashtra) में अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम के तहत राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार की सुबह देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को मुख्यमंत्री (CM) पद की शपथ दिलाई. राजभवन में उनके साथ ही अजीत पवार (Ajit Pawar) को उप मुख्यमंत्री (Deputy CM) पद के लिए शपथ दिला दी गई. जिसके साथ ही 1 महीने से महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक गतिरोध का अंत हो गया. लेकिन इस घटनाक्रम के बाद महाराष्ट्र (Maharashtra) में राजनीतिक आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस (Congress) की ओर से ऐसे अचानक सरकार गठन की मंजूरी देने के लिए राज्यपाल (Governor) पर भी सवाल उठाए गए हैं. बिना कैबिनेट की मंजूरी के हटाया गया राष्ट्रपति शासन महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी नहीं ली गई. इसका निर्णय प्रधानमंत्री ने स्वयं लिया. भारत सरकार ( कार्य-संचालन) नियम (THE GOVERNMENT OF INDIA TRANSACTION OF BUSINESS RULES) के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 77 की तीसरी उपधारा के मुताबिक सरकार के कामकाज को बिना बाधा के चलाने के लिए राष्ट्रपति ने कुछ नियम बनाए थे. राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद द्वारा ये नियम 4 जनवरी, 1961 को लागू किए गए थे. इन्हीं नियमों में 12वें नियम के मुताबिक प्रधानमंत्री (PM) किसी भी मामले या किसी भी वर्ग के मामले में अनुमति दे सकता है या नियमों से प्रस्थान कर सकता है. वह जिस हद तक इसे जरूरी समझता है (उस हद तक नियमों से प्रस्थान कर सकता है). इसी का प्रयोग करते हुए महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाया गया. राज्यपाल के निर्णय को नहीं दी जा सकती कोर्ट में चुनौती इस मामले में संविधान विशेषज्ञ (Constitution Specialist) पीडीटी आचार्य का कहना है कि किसे मुख्यमंत्री नियुक्त करना है यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करता है वह अगर संतुष्ट हैं तो वह मुख्यमंत्री नियुक्त कर सकते हैं. आमतौर पर राज्यपाल विधायकों के हस्ताक्षर वाली चिट्ठी से बहुमत का फैसला करते हैं लेकिन यह कोई अनिवार्य शर्त नहीं है. राज्यपाल द्वारा अपने विवेक से लिए गए निर्णय को किसी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती. प्रोटेम स्पीकर भी करवा सकते हैं बहुमत परीक्षण इन सभी विधायकों पर एंटी डिफेक्शन लॉ (Anti-Defection Law) लागू होगा लेकिन उसके बारे में फैसला विधानसभा स्पीकर को करना होता है तो यह महत्वपूर्ण होगा कि विधान सभा स्पीकर कौन होंगे. प्रोटेम स्पीकर के पास स्पीकर के सभी अधिकार होते हैं इसलिए अगर वह चाहें तो बहुमत परीक्षण भी करवा सकते हैं, जरूरी नहीं कि नए स्पीकर के चुनाव के बाद बहुमत परीक्षण हो. सवेरे 05:47 बजे जारी किए गजट नोटिफिकेशन के जरिए हटा राष्ट्रपति शासन बता दें कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने सुबह एक समारोह में दोनों को शपथ दिलायी जहां केवल आधिकारिक मीडिया ही मौजूद रही. महाराष्ट्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला के सवेरे 05:47 बजे जारी किए गजट नोटिफिकेशन के जरिए राष्ट्रपति शासन हटाया गया.✍स्पेशीयल स्कवोड दैनिक कच्छ शेरखान जत*


महाराष्ट्र उथल पुथल पुरा धटनाक्रम पढीये।



महाराष्ट्र: शपथ ग्रहण से लेकर अजित पवार पर कार्रवाई और सुप्रीम कोर्ट में याचिका तक, पढ़ें, NCP और कांग्रेस महाराष्ट्र में सरकार गठन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई हैं (फाइल फोटो) शिवसेना, NCP और कांग्रेस महाराष्ट्र में सरकार गठन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है मुंबई. महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में शनिवार सुबह घटे एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने मुख्‍यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार (Ajit Pawar) ने उप मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ले ली. इस शपथ ग्रहण के बाद कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन में खलबली मच गई. बता दें कि शुक्रवार देर शाम ही तीनों पार्टियों ने मीटिंग की थी और उसके बाद शरद पवार ने खुद ऐलान किया था कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम होंगे. शपथ ग्रहण के बाद शिवसेना और एनसीपी (Shiv Sena and NCP) ने एक प्रेस कांफ्रेंस की और सजित पवार के कदम को निजी और पार्टी के विचारधारा के खिलाफ बताया. उसके बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार (NCP Chief Sharad Pawar) ने वाईबी सेंटर में देर शाम तक अपने विधायकों के साथ बैठक भी की. बाद में इन विधायकों को पवई के एक गेस्ट हाउस में ले जाया गया है. शिवसेना के विधायक ललित होटल में हैं जबकि कांग्रेस के विधायकों को जयपुर भेजे जाने की ख़बरें आ रहीं हैं. एनसीपी की बैठक के बाद दावा किया गया कि उसके 54 में से 50 विधायक शरद पवार के ही साथ हैं. वहीं बैठक में अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटाकर जयंत पाटिल को नया नेता चुना गया. इन सब घटनाक्रम के बीच शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्‍ट्र में सरकार गठन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट रविवार सुबह 11:30 बजे सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. शनिवार सुबह से ही ऐसे बदलता रहा राजनीतिक समीकरण: सुबह पांच बजकर 47 मिनट पर हटा राष्ट्रपति शासन, फड़णवीस बने मुख्यमंत्री महाराष्ट्र में शनिवार सुबह पांच बजकर 47 मिनट पर राष्ट्रपति शासन हटाए जाने के बाद भाजपा-राकांपा सरकार ने कार्यभार संभाला. राज्य में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था. गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार के (कार्य संचालन) नियमों के एक विशेष प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी दी. इस नियम के तहत प्रधानमंत्री के पास विशेष अधिकार होते हैं. राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा हस्ताक्षरित उद्घोषणा के अनुसार, 'संविधान के अनुच्छेद 356 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुसार, मैं भारत का राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, मेरे द्वारा 12 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र राज्य के संबंध में की गई उद्घोषणा को निरस्त करता हूं, जो 23 नवंबर 2019 से प्रभावी है.' उद्घोषणा पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने शनिवार सुबह पांच बजकर 47 मिनट पर राजपत्र अधिसूचना को जारी किया. इसके बाद, महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन खत्म हो गया और सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ. राष्ट्रपति शासन हटाने के लिए, राष्ट्रपति को केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश की आवश्यकता होती है. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक नहीं हुई इसलिए केंद्र सरकार ने भारत सरकार के (कार्य संचालन) नियमों (12) को लागू किया गया था. राष्ट्रपति शासन हटने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के देवेंद्र फड़णवीस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अजित पवार ने महाराष्ट्र के क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. शिवसेना और एनसीपी ने की प्रेस कांफ्रेंस शपथ ग्रहण समारोह के बाद एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया. पवार ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये भाजपा से हाथ मिलाने के अजित पवार के फैसले को शनिवार को 'अनुशासनहीनता' और निजी फैसला करार दिया. उन्होंने कहा कि उनके भतीजे और पाला बदलने वाले पार्टी के अन्य विधायकों पर 'दल-बदल विरोधी कानून' के प्रावधान लागू होंगे. उन्होंने जोर देकर कहा कि 'शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस' के पास संयुक्त रूप से संख्या बल है और तीनों दल सरकार बनाएंगे. पार्टी में टूट और परिवार में बिखराव के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, 'मैं इन चीजों से पहले भी गुजर चुका हूं. 1980 में मैं उन सभी को शिकस्त देने में सफल रहा था जिन्होंने मुझे अकेला कर दिया था. राजनीति और परिवार अलग-अलग चीजें हैं.' शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी तीनों दलों के साथ मिल कर सरकार बनाने की बात दोहराई. उन्होंने कहा, 'शिवसेना जो कुछ करती है वह सामने होता है, खुल कर करती है.' उन्होंने एक लोकप्रिय मराठी हॉरर टीवी धारावाहिक के शीर्षक का जिक्र करते हुए कहा, 'हमारी राजनीति 'रात्रि खेल चाले' (रात में खेल होता है) नहीं है.' ठाकरे ने कहा, 'मैंने सुना है कि आज तड़के केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई. पाकिस्तान के खिलाफ जिस तरह से 'सर्जिकल स्ट्राइक' की गई, उसी तरह से यह महाराष्ट्र पर 'फर्जिकल स्ट्राइक' है...यह जनादेश और संविधान का स्पष्ट रूप से अनादर है.' शिवसेना प्रमुख ने कहा, 'हर कोई जानता है कि जब छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ विश्वासघात किया गया था और उन पर पीछे से हमला किया गया था तब उन्होंने क्या किया था. शिवसेना के कार्यकर्ता पार्टी विधायकों का दल बदल कराने की सारी कोशिशें नाकाम कर देंगे. विधायकों ने उठाए सवाल इस प्रेस कांफ्रेंस में शरद पवार ऐसी कई विधायकों को लेकर पहुंचे जिनके सुबह शपथ ग्रहण समारोह में राजभवन में होने की बात सामने आई थी. इन्हीं विधायकों में से दो बुलढाणा से राजेंद्र शिंगणे और बीड से संदीप क्षीरसागर ने कहा कि रात 12 बजे उन्हें अजित पवार का फोन कॉल आया, जिसमें उनसे पार्टी के नेता धनंजय मुंडे के आवास पर सुबह सात बजे आने को कहा गया, दोनों विधायकों ने कहा कि इसके बाद उन्हें राजभवन ले जाया गया. विधायकों ने बताया, 'इससे पहले कि उन्हें कुछ आभास हो पाता, हमने देखा कि देवेंद्र फड़णवीस और अजित पवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी शपथ ग्रहण करा रहे हैं.' शिंगणे ने कहा, 'जब मैं राजभवन पहुंचा, तो पाया कि आठ-10 विधायक पहले से वहां मौजूद हैं. हममें से किसी ने महसूस नहीं किया कि हमें वहां क्यों लाया गया. शपथ ग्रहण के बाद हम (शरद) पवार साहेब से मिलने गये. भाजपा और अजीत पवार ने 'दुर्योधन एवं शकुनि' की तरह जनादेश का 'चीरहरण' किया कांग्रेस ने महाराष्ट्र में अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम के तहत देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में बनी नयी सरकार को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार देते हुए शनिवार को दावा किया कि भाजपा और अजित पवार ने 'दुर्योधन एवं शकुनि' की तरह जनादेश का 'चीरहरण' किया है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि इस मामले में अदालत जाने सहित सभी विकल्प खुले हुए हैं. सुरजेवाला ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी निशाना साधा और दावा किया कि वह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 'हिटमैन' की तरह काम किया है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक घटनाक्रम की निंदा करते हुए शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र दे देना चाहिए. उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल पर भाजपा के साथ मिलीभगत कर देवेन्द्र फड़णवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने का आरोप लगाया है. बीजेपी का दावा- हमारे पास है बहुमत भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार ने शनिवार को दावा किया कि महाराष्ट्र में 288 सदस्यों वाले सदन में भाजपा को 170 विधायकों का समर्थन हासिल है. राज्य में राकांपा नेता अजित पवार के समर्थन से भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस ने दूसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. मुनगंटीवार ने कहा, 'अजित पवार राकांपा के विधायक दल के नेता हैं और इसका अर्थ है कि सभी ने भाजपा को समर्थन दिया है.' गौरतलब है कि विधानसभा में राकांपा के 54 विधायक हैं, और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कितने विधायक अजित पवार के साथ हैं. उन्होंने कहा, 'भाजपा और उसके सहयोगी (शिवसेना) को स्पष्ट बहुमत मिला था, लेकिन सहयोगी ने इसका सम्मान नहीं किया. हमें मिले बहुमत का सम्मान करने के लिए हमने आज 170 विधायकों के समर्थन से सरकार का गठन किया.' देवेन्द्र फड़णवीस के मुख्यमंत्री और अजित पवार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि यह राज्यपाल का विशेषाधिकार है कि वह किसे आमंत्रित करते हैं. राजनाथ से एक कार्यक्रम से इतर जब संवाददाताओं ने महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, "इस समय जिस कार्यक्रम में यहां पर आया हूं, कोई राजनीतिक बात नहीं कहना चाहता. यह राज्यपाल का विशेषाधिकार था. संतुष्ट होने पर राज्यपाल को जिसे आमंत्रित करना था, उन्होंने आमंत्रित किया.' बाद में, राजनाथ ने ट्वीट कर फड़णवीस और पवार को बधाई दी. उन्होंने कहा, 'मुझे पूरा विश्वास है कि वे राज्य की प्रगति और संपन्नता के लिए मिलकर कार्य करेंगे.' सुप्रीम कोर्ट में रविवार सुबह 11:30 बजे सुनवाई शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की ओर से महाराष्‍ट्र में सरकार गठन के खिलाफ दायर याचिका पर रविवार सुबह 11.30 बजे सुनवाई होगी. इस दौरान वकीलों ने याचिका की अर्जेंट सुनवाई करने और 24 घंटे में शक्ति परीक्षण कराने का आदेश देने की अपील की. वहीं याचिका में महाराष्ट्र के राज्यपाल से देवेंद्र फडनवीस को निमंत्रण देने और राज्यपाल को दिए गए समर्थन पत्र समेत सारा रिकॉर्ड अदालत के सामने प्रस्तुत करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है. शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी ने प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति, डिवीजन ऑफ वोट के जरिए तुरंत फ्लोर टेस्ट और इसकी वीडियोग्राफी कराने की मांग की है. एनसीपी विधायक दल के नेता पद से हटाए गए अजित पवार एनसीपी प्रमुख शरद पवार की ओर से बुलाई गई विधायकों की बैठक देर शाम तक चली. इस दौरान अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया है. अजित की जगह जयंत पाटिल को विधायक दल का नया नेता चुना गया है. एनसीपी की बैठक के बाद कहा गया कि पार्टी जब तक नया विधायक दल का नेता नहीं चुन लेती. तब तक जयंत पाटिल ही यह पद संभालेंगे.


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पुरव कच्छ पुलिस जवानो पर ननामी अरजी के आघार पर शिक्सात्मक ऐकशन ??

पुरव कचछ पुलिस के तीन जमादारों पर ननामी अरजी के आघार पर शिक्सात्मक ऐकश्न ले कर जिल्ला बहार बदली करना यह ऐक आशचरय लगे ऐसी धटना है। ननामी अरजी...