मंगलवार, 14 मई 2019

पोलीस पत्रकारो की जंग ! कोन सही कोन गलत ।



लोकतंत्र में जीतनी महता पुलीस की है उस से कहीं अघिक महता मीडीया की है।आये दिन पुलीस ओर पत्रकारो के बीच तु तु में में हुं हुं होती रहती है।गुजरात के जुनागढ में पुलीस ने पत्रकारो पर लाठीयां बरसाइ बहोत सी जगहो पर पत्रकारो के मरडर भी हो रहे हैं ।
सही ढंग से देखा जाय तो जीतनी कमियां मीडिया करमीयो में हैं उनसे अघिक कमीयां पुलीस में हैंं।
फरजी डीग्री फरजी सरटीफीकेट के जरीये 30% से अघिक पुलीस भरती में धोटाले होते रहते हैं पत्रकारो को ऐजयुकेशन की जरुरत नहीं होती ए़इसलीये यह मसला खडा नहीं होता ।
पत्रकार ओर पुलीस ऐक दुसरे के पुरक हैं।
मील कर काम करना चाहिये लाठी डंडे बरसा कर वरदी का गेरउपयोग नहीं करना चाहिये कानुन में सनमाननीय की उपाघि पाऐ पत्रकारो पर पुलीस लाठीयां बरसाये यह गलत कदम है ।हम निंदा करते हैं ऐसी धटनाओ की ।
पुलीस ओर पत्रकारो का काम समान है पुलीस को सस्ती प्रसिदि भी मीडीया ही देती है संभवत पत्रकार ओर पुलीस दोनो को एक दुसरे के साथ संधरष नहीं करना चाहिये ।दोनो कायदे के रकसक ही हैं बहोत सी जगहो पर पुलीस यह कह बेठती है के आप तो पत्रकार हैं यहां पुलीस को पता होना चाहिये के पत्रकार भी  ऐक जन प्रतिनिघि है।नहीं पुछना चाहिये अगर पत्रकार गलत हैं तो पुलीस भी गलत है ।
अंत:कोसने से पहले पुलीस ओर पत्रकारो को कदम मिला कर काम करने की जरुरत है।
बहोत सी जगहो पर पत्रकारो को चाय पीला कर मीठा बोल कर कही हुइ मनमानी बाते लीखवा कर पब्लीसीटी पाने का मोहरा भी समजा जाता है पत्रकारो को जुठी प्रसिघि दिलवाने से बचना चाहिये।पत्रकार ओर पुलीस दोनो को अपनी अपनी मरयादाओ में रह कर काम करना चाहिये।

पुरव कच्छ पुलिस जवानो पर ननामी अरजी के आघार पर शिक्सात्मक ऐकशन ??

पुरव कचछ पुलिस के तीन जमादारों पर ननामी अरजी के आघार पर शिक्सात्मक ऐकश्न ले कर जिल्ला बहार बदली करना यह ऐक आशचरय लगे ऐसी धटना है। ननामी अरजी...